4,अप्रैल,1906 यानी कि आज ही के दिन बाबासाहेब डॉ अम्बेडकर और माता रमाबाई अम्बेडकर जी की शादी हुई थी।
Wish You Very Very Happy Marriage Anniversary Baba Sahab Dr.Ambedkar & Maa Ramabai Ambedkar.
माता रमाबाई अम्बेडकर का विवाह 9 वर्ष की उम्र में मेजर सुबेदार रामजी मालोजी सकपाल जी के सुपुत्र आधुनिक भारत के युगप्रर्वतक बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर जी से 4,अप्रैल,1906 को आज ही के दिन हुआ हुआ था.तब भीमराव अम्बेडकर की उम्र मात्र 14 वर्ष की थी और बाबा साहेब जी 10 वी कक्षा में पढ़ रहे थेशादी के बाद रामी का नाम रमा हो गया था,शादी के पहले रमा बाबासाहेब प्यार से उन्हें रामू कहते थे और माता रमाई उन्हें साहेब कहकर पुकारती थी। रमा जी बिलकुल अनपढ़ थी.किन्तु,शादी के बाद भीमराव अम्बेडकर जी ने उन्हें साधारण लिखना-पढ़ना सिखा दिया था. वह अपने हस्ताक्षर कर लेती थी त्याग समर्पण की प्रतीक महिलाओं के संघर्षो की मिशाल थी माता रमाबाई अम्बेडकर जी। इसपर एक कविता है । जालिमों से लड़ती भीम की रमाबाई थी मजलूमों को बढ़ के जो,आँचल उढ़ाई थी एक तरफ फूले सावित्री थे साथ लड़े” भीम साथ वैसे मेरी रमाई थी । बाबासाहेब अम्बेडकर को विश्वविख्यात महापुरुष बनाने में रमाबाई का ही साथ था.आज हमारी महिलाओ चाहे वे किसी भी धर्म या जाति समुदाय से हो माता रमाबाई अंबेडकर जी पर गर्व होना चाहिए कि किन परिस्थितियों में उन्होंने बाबा साहेब का मनोबल बढ़ाये रखा और उनके हर फैसले में उनका साथ देती रही,खुद अपना जीवन घोर कष्ट में बिताया और बाबा साहेब की मदद करती रही।
आज अगर भारत की महिलाएं आज़ाद है समता समानता के अधिकार मिले हुए हैं, तो उसका श्रेय सिर्फ और सिर्फ माता रमाबाई अम्बेडकर जी और बाबा साहेब जी को जाता है. हमारा फ़र्ज़ है उनको जानने का उनके त्याग समर्पण की भावना को पहचानने का माता रमाबाई अम्बेडकर जी योगदान को झुठला नहीं सकता है समाज। लोग आज भी उन्हें ऐसे मुक्तिदाता के रूप में याद करते है.जो शोषित समाज के आत्मसम्मान तथा हित के लिए अंतिम साँस तक लड़ीं और हर कदम पर बाबासाहेब आंबेडकर जी का साथ दिया.बाबासाहेब आंबेडकर जी और माता रमाबाई अंबेडकर जी को हम *केवल इसी बात से जान सकते हैं कि,वे एक महान वकील होने के बाद भी अपने पुत्र गंगाधर की मृत्यु पर उनके जेब में इतने पैसे नहीं थे, कि अपने बेटे के लिए कफन खरीद सके,कफन के लिए माता रमाबाई अम्बेडकर जी ने अपने साड़ी में से एक टुकड़ा फाड़ कर दिया
माता रमाबाई ने 5 संतानों को जन्म दिया था नाम थे यशवंतराव,गंगाधर,रमेश,इंदू,राज रत्न,गरीबी किसी को ना सताए.धन अभाव के कारण जब भोजन ही भरपेट नहीं मिलता था ऐसी स्थिति मे दवा के लिए पैसे कहाँ से आते इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि यशवंतराव के अलावा सभी बच्चे अकाल ही काल कलवित हो गए दूसरे पुत्र गंगाधर के निधन की दर्द भरी कहानी डॉक्टर अंबेडकर ने इस प्रकार बतलाई है- बाबा साहेब कहते है कि मेरा दूसरा लड़का गंगाधर हुआ जो देखने में बहुत सुंदर था वह अचानक बीमार हो गया दवा दारू के लिए पैसा ना था उसकी बीमारी से तो एक बार मेरा मन भी डावांडोल हो गया कि मैं सरकारी नौकरी लूं.फिर मुझे विचार आया कि अगर मैंने नौकरी कर ली तो उन करोड़ो अछूतों का क्या होगा जो गंगाधर से ज्यादा बीमार है ठीक प्रकार से इलाज ना होने के कारण वह नन्ना सा बच्चा ढाई साल की आयु में चल बसा ! गमी में लोग आए बच्चे के मृत शरीर को ढकने के लिए नया कपड़ा लाने के लिए पैसे मांगे लेकिन मेरे पास इतने पैसे नहीं थे कि मैं कफन खरीद सकूँ.अंत में मेरी प्यारी पत्नी रामू ने अपनी साड़ी में से एक टुकड़ा फाड़ कर दिया उसी में ढंक कर उसे श्मशान पर लोग लेकर गए हैं और दफना आये,ऐसी थी मेरी आर्थिक स्थिति मे पांचवा बच्चा राज रत्न बहुत प्यारा था रमाबाई ने उसकी देखरेख में कोई कमी नहीं आने दी ! अचानक जुलाई 1926 में उसे डबल निमोनिया हो गया काफी इलाज करने पर भी 19 जुलाई 1926 को दोनों को बिलखते छोड़ वह भी चल बसा माता रमाबाई को इससे बहुत सदमा पहुंचा और वह बीमार रहने लगे धीरे-धीर पुत्र शोक कम हुआ.तो बाबा साहब भीमराव अंबेडकर महाड सत्याग्रह में जुट गये महाड में विरोधियों ने षडयंत्र कर उन्हें मार डालने की योजना बनाई यह सुनकर माता रमाबाई ने महाड़ सत्याग्रह में अपने पति के साथ रहने की अभिलाषा व्यक्त की
धन्य है वो माँ जिसने माँ रमाई जैसी बेटी को जन्म दिया जिसने अपने त्याग समर्पण से बाबासाहेब अम्बेडकर जी को महान बना दिया।
साथियों इतने बड़े संघर्षों की बदौलत सर्व समाज की महिलाएं और बहुजन समाज सम्मान के साथ जी रहे हैं,
अनिल कुमार गौतम सम्पादक मजीत टाइम्स वाट्सअप नम्बर 9454449241
डॉ मोहम्मद दानिश खान सह सम्पादक
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