14,नवंबर,1838 वो थे इसलिए आज हम हैं

14,नवंबर,1838 वो थे इसलिए आज हम हैं ।इतिहास के पन्नों से  आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक,भारतीय संविधान के शिल्पकार विश्वरत्न,बोधिसत्व बाबासाहेब डॉ.भीमराव अम्बेडकर जी के पिता भारतीय सेना की  महार रेजीमेंट के वीर सैनिक,सुबेदार,मेजर रामजी मालोजी सकपाल जी की जंयती की हार्दिक बधाईयां एवं शत्-शत् नमन एंव विनम्र श्रद्धांजलि —*
 जब जरूरत थी चमन को तो लहू हमने दिया,अब बहार आई तो कहते हैं तेरा काम नहीं आवो हम सब मिलकर उस महापुरुष को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं जिसने आधुनिक भारत के युगप्रवर्तक,विश्वरत्न,बोधिसत्व बाबा साहेब डा.भीमराव अम्बेडकर जी की बुद्धि और व्यक्तित्व को आकार दिया साथियों क्या आप लोगों को पता है परमपूज्य,बोधिसत्व,भारत रत्न बाबा साहेब डा भीमराव बहुजन समाज के सम्मानित साथियों मेजर सूबेदार रामजी सकपाल  महार रेजीमेंट की तरफ से  के 1878 में अफगानिस्तान में लड़े —
1888 तक सूबेदार मेजर रामजी रावलपिंडी में सैनिक अध्यापक रहे ! फिर इन्हें महार बटालियन के साथ महू छावनी भेज दिया गया महू छावनी की अंग्रेजी फौज के पश्चिमी क्षेत्र की सेना का प्रधान केंद्र था हेड क्वार्टर ऑफ़ वेस्ट(MHOW) के नाम पर ही महू नाम पड़ा,जहाँ 14,अप्रैल,1891 को बाबा साहेब जी का जंन्म हुआ 
सन 1894 में सुबेदार मेजर रामजी सकपाल को सेना ने सेवा समाप्ति से पहले ही उन्हें सेवानिवृत कर दिया ! फिर कुछ समय बाद पैतृक गाँव के पड़ोस में सतारा जिले में तालाब खोदने के काम में  सुबेदार मेजर रामजी सकपाल जी निरिक्षक नियुक्त किए गये 2,फरवरी,1913 को पुत्र भीमराव की पीठ थपथपाते हुए रामजी का निधन हो गया !  इस प्रकार 22,वर्ष की उम्र में ही पिता का साया भीमराव अम्बेडकर जी के सर उठ गया बालक भीमराव जी की योग्यता खासकर अंग्रेजी व गणित और एक महापुरुष बनाने में उनके पिता सुबेदार मेजर रामजी का अतुलनीय योगदान था-
*—बहुजन समाज के सम्मानित साथियों सुबेदार मेजर रामजी सकपाल एंव माँ भीमबाई के लाल परमपूज्य बोधिसत्व भारत रत्न बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर के ज्ञान की ऊँचाई और कर्मठता को देखकर कहा गया है कि यदि विश्व में कोई व्यक्ति ज्ञान के एवरेस्ट शिखर(हिमाचल की चोटी) पर तो याद रखिए कि वो बाबा साहेब जी हैं वे वीर,सैनिक, वीर पुत्र तथा महान देशभक्त थे जिन्होंने हमेशा ही अगली पंक्ति में रह कर युद्ध करना सीखा और देश को हमेशा सर्वोपरि रखा साथियों आज हमें अगर कहीं भी खड़े होकर अपने विचारों की अभिव्यक्ति करने की आजादी है ! समानता का अधिकार है तो यह सिर्फ और सिर्फ परमपूज्य बाबासाहेब आंबेडकर जी के संघर्षों से मुमकिन हो सका है । भारत वर्ष का जनमानस सदैव बाबा साहेब डा भीमराव अंबेडकर जी का कृतज्ञ रहेगा ! गणतन्त्र के महानायक परमपपूज्य बोधिसत्व,भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के पिता सुबेदार मेजर रामजी सकपाल जी के चरणों में शत् -शत् नमन एंव विनम्र श्रद्धांजलि 
विशेष साभार-: बहुजन समाज और उसकी राजनीति,मेरे संघर्षमय जीवन एवं बहुजन समाज का मूवमेंट,दलित दस्तक,फारवर्ड प्रेस
मां कांशीराम साहब जी ने एक एक बहुजन नायक को बहुजन से परिचय कराकर, बहुजन समाज के लिए किए गए कार्य से अवगत कराया सन 1980 से पहले भारत के  बहुजन नायक भारत के बहुजन की पहुँच से दूर थे,इसके हमें निश्चय ही  मान्यवर कांशीराम साहब जी का शुक्रगुजार होना चाहिए जिन्होंने इतिहास की क्रब में दफन किए गए बहुजन नायक नायिकाओं के व्यक्तित्व को सामने लाकर समाज में प्रेरणा स्रोत जगाया इसका पूरा श्रेय मां कांशीराम साहब जी को ही जाता है कि उन्होंने जन जन तक गुमनाम बहुजन नायकों को पहुंचाया, मां कांशीराम साहब के बारे में जान कर मुझे भी लगा कि गुमनाम बहुजन नायकों के बारे में लिखा जाए !
 ऐ मेरे बहुजन समाज के पढ़े लिखे लोगों जब तुम पढ़ लिखकर कुछ बन जाओ तो कुछ समय ज्ञान,पैसा,हुनर उस समाज को देना जिस समाज से तुम आये हो 
तुम्हारें अधिकारों की लड़ाई लड़ने के लिए मैं दुबारा नहीं आऊंगा,ये क्रांति का रथ संघर्षो का कारवां ,जो मैं बड़े दुखों,कष्टों को सहकर यहाँ तक ले आया हूँ,अब आगे तुम्हे ही ले जाना है आज करोड़ों लोगजो बाबासाहेब जी,माँ रमाई के संघर्षों की बदौलत कमाई गई रोटी को मुफ्त में बड़े चाव और मजे से खा रहे हैं ऐसे लोगों को इस बात का अंदाजा भी नहीं है जो उन्हें ताकत,पैसा,इज्जत,मान-सम्मान मिला है वो उनकी बुद्धि और होशियारी का नहीं है बाबासाहेब जी के संघर्षों की बदौलत है साथियों आँधियाँ हसरत से अपना सर पटकती रहीं,बच गए वो पेड़ जिनमें हुनर लचकने का था तमन्ना सच्ची है,तो रास्ते मिल जाते हैं,तमन्ना झूठी है,तो बहाने मिल जाते हैं,जिसकी जरूरत है रास्ते उसी को खोजने होंगें निर्धनों का धन उनका अपना संगठन है,ये मेरे बहुजन समाज के लोगों अपने संगठन अपने झंडे को मजबूत करों शिक्षित हो संगठित हो,संघर्ष करो साथियों झुको नही,बिको नहीं,रुको नही, हौसला करो,तुम हुकमरान बन सकते हो,फैसला करो हुकमरान बनो
पूरे बहुजन समाज को ये बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि हमारे पूर्वजों का संघर्ष और बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। हमें उनके बताए मार्ग का अनुसरण करना चाहिए !
―बाबासाहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर  जी ने कहा है जिस समाज का इतिहास नहीं होता, वह समाज कभी भी शासक नहीं बन पाता… क्योंकि इतिहास से प्रेरणा मिलती है, प्रेरणा से जागृति आती है, जागृति से सोच बनती है, सोच से ताकत बनती है, ताकत से शक्ति बनती है और शक्ति से शासक बनता है । पता नहीं क्यूं बहुजन समाज के महापुरुषों के बारे कुछ भी लिखने या प्रकाशित करते समय “भारतीय जातिवादी मीडिया” की कलम से स्याही सूख जाती है !.इतिहासकारों की बड़ी विडम्बना ये रही है,कि उन्होंने बहुजन नायकों के योगदान को इतिहास में जगह नहीं दी इसका सबसे बड़ा कारण जातिगत भावना से ग्रस्त होना एक सबसे बड़ा कारण है इसी तरह के तमाम ऐसे बहुजन नायक हैं,जिनका योगदान कहीं दर्ज न हो पाने से वो इतिहास के पन्नों में गुम हो गए जय रविदास जय कबीर जय भीम जय नारायण गुरु जय सावित्रीबाई फुले
जय माता रमाबाई अम्बेडकर जी
जय ऊदा देवी पासी जी
जय झलकारी बाई कोरी
जय बिरसा मुंडा
जय बाबा घासीदास
जय संत गाडगे बाबा
जय पेरियार रामास्वामी नायकर जय छत्रपति शाहूजी महाराज
जय शिवाजी महाराज
जय काशीराम साहब
जय मातादीन भंगी जी
जय कर्पूरी ठाकुर 
जय पेरियार ललई सिंह यादव जय मंडल
जय हो उन सभी गुमनाम बहुजन महानायकों की जिंन्होने अपने संघर्षो से बहुजन समाज को एक नई पहचान दी,स्वाभिमान से जीना सिखाया !
 अमित गौतम युवा सामाजिक कार्यकर्ता         बहुजन समाज
  जंनपद-रमाबाई नगर कानपुर सम्पर्क सूत्र-9452963593